योना 2

1 तब योना ने महा मच्छ के पेट में से अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना करके कहा,

2 “मैंने संकट में पड़े हुए यहोवा की दुहाई दी,

3 तूने मुझे गहरे सागर में समुद्र की थाह तक डाल दिया;

4 तब मैंने कहा, 'मैं तेरे सामने से निकाल दिया गया हूँ;

5 मैं जल से यहाँ तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे;

6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुँच गया था;

7 जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैंने यहोवा को स्मरण किया;

8 जो लोग धोखे की व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं,

9 परन्तु मैं ऊँचे शब्द से धन्यवाद करके तुझे बलिदान चढ़ाऊँगा;

10 और यहोवा ने महा मच्छ को आज्ञा दी, और उसने योना को स्थल पर उगल दिया।

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तब यहोवा का यह वचन दूसरी बार योना के पा...

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