भजन संहिता 85

1 हे यहोवा, तू अपने देश पर प्रसन्‍न हुआ, याकूब को बँधुवाई से लौटा ले आया है।

2 तूने अपनी प्रजा के अधर्म को क्षमा किया है;

3 तूने अपने रोष को शान्त किया है;

4 हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, हमको पुनः स्थापित कर,

5 क्या तू हम पर सदा कोपित रहेगा?

6 क्या तू हमको फिर न जिलाएगा,

7 हे यहोवा अपनी करुणा हमें दिखा,

8 मैं कान लगाए रहूँगा कि परमेश्‍वर यहोवा क्या कहता है,

9 निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है,

10 करुणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं;

11 पृथ्वी में से सच्चाई उगती

12 हाँ, यहोवा उत्तम वस्तुएँ देगा,

13 धर्म उसके आगे-आगे चलेगा,

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हे यहोवा, कान लगाकर मेरी सुन ले,

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attribution Bridge Connectivity Solutions Pvt. Ltd., 2019 (ब्रिज कनेक्टिविटी सॉल्यूशंस प्रा. लि., 2019)
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