भजन संहिता 85
1 हे यहोवा, तू अपने देश पर प्रसन्न हुआ, याकूब को बँधुवाई से लौटा ले आया है।
2 तूने अपनी प्रजा के अधर्म को क्षमा किया है;
3 तूने अपने रोष को शान्त किया है;
4 हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, हमको पुनः स्थापित कर,
5 क्या तू हम पर सदा कोपित रहेगा?
6 क्या तू हमको फिर न जिलाएगा,
7 हे यहोवा अपनी करुणा हमें दिखा,
8 मैं कान लगाए रहूँगा कि परमेश्वर यहोवा क्या कहता है,
9 निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है,
10 करुणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं;
11 पृथ्वी में से सच्चाई उगती
12 हाँ, यहोवा उत्तम वस्तुएँ देगा,
13 धर्म उसके आगे-आगे चलेगा,
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