भजन संहिता 65
1 हे परमेश्वर, सिय्योन में स्तुति तेरी बाट जोहती है;
2 हे प्रार्थना के सुननेवाले!
3 अधर्म के काम मुझ पर प्रबल हुए हैं;
4 क्या ही धन्य है वह, जिसको तू चुनकर अपने समीप आने देता है,
5 हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर,
6 तू जो पराक्रम का फेंटा कसे हुए,
7 तू जो समुद्र का महाशब्द, उसकी तरंगों का महाशब्द,
8 इसलिए दूर-दूर देशों के रहनेवाले तेरे चिन्ह देखकर डर गए हैं;
9 तू भूमि की सुधि लेकर उसको सींचता है,
10 तू रेघारियों को भली भाँति सींचता है,
11 तेरी भलाइयों से, तू वर्ष को मुकुट पहनता है;
12 वे जंगल की चराइयों में हरियाली फूट पड़ती हैं;
13 चराइयाँ भेड़-बकरियों से भरी हुई हैं;
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