भजन संहिता 65

1 हे परमेश्‍वर, सिय्योन में स्तुति तेरी बाट जोहती है;

2 हे प्रार्थना के सुननेवाले!

3 अधर्म के काम मुझ पर प्रबल हुए हैं;

4 क्या ही धन्य है वह, जिसको तू चुनकर अपने समीप आने देता है,

5 हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर,

6 तू जो पराक्रम का फेंटा कसे हुए,

7 तू जो समुद्र का महाशब्द, उसकी तरंगों का महाशब्द,

8 इसलिए दूर-दूर देशों के रहनेवाले तेरे चिन्ह देखकर डर गए हैं;

9 तू भूमि की सुधि लेकर उसको सींचता है,

10 तू रेघारियों को भली भाँति सींचता है,

11 तेरी भलाइयों से, तू वर्ष को मुकुट पहनता है;

12 वे जंगल की चराइयों में हरियाली फूट पड़ती हैं;

13 चराइयाँ भेड़-बकरियों से भरी हुई हैं;

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हे सारी पृथ्वी के लोगों, परमेश्‍वर के लि...

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attribution Bridge Connectivity Solutions Pvt. Ltd., 2019 (ब्रिज कनेक्टिविटी सॉल्यूशंस प्रा. लि., 2019)
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