भजन संहिता 64
1 हे परमेश्वर, जब मैं तेरी दुहाई दूँ, तब मेरी सुन;
2 कुकर्मियों की गोष्ठी से,
3 उन्होंने अपनी जीभ को तलवार के समान तेज किया है,
4 ताकि छिपकर खरे मनुष्य को मारें;
5 वे बुरे काम करने को हियाव बाँधते हैं;
6 वे कुटिलता की युक्ति निकालते हैं;
7 परन्तु परमेश्वर उन पर तीर चलाएगा;
8 वे अपने ही वचनों के कारण ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे;
9 तब सारे लोग डर जाएँगे;
10 धर्मी तो यहोवा के कारण आनन्दित होकर उसका शरणागत होगा,
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