भजन संहिता 56

1 हे परमेश्‍वर, मुझ पर दया कर, क्योंकि मनुष्य मुझे निगलना चाहते हैं;

2 मेरे द्रोही दिन भर मुझे निगलना चाहते हैं,

3 जिस समय मुझे डर लगेगा,

4 परमेश्‍वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूँगा,

5 वे दिन भर मेरे वचनों को, उलटा अर्थ लगा-लगाकर मरोड़ते रहते हैं;

6 वे सब मिलकर इकट्ठे होते हैं और छिपकर बैठते हैं;

7 क्या वे बुराई करके भी बच जाएँगे?

8 तू मेरे मारे-मारे फिरने का हिसाब रखता है;

9 तब जिस समय मैं पुकारूँगा, उसी समय मेरे शत्रु उलटे फिरेंगे।

10 परमेश्‍वर की सहायता से मैं उसके वचन की प्रशंसा करूँगा,

11 मैंने परमेश्‍वर पर भरोसा रखा है, मैं न डरूँगा।

12 हे परमेश्‍वर, तेरी मन्नतों का भार मुझ पर बना है;

13 क्योंकि तूने मुझ को मृत्यु से बचाया है;

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हे परमेश्‍वर, मुझ पर दया कर, मुझ पर दया ...

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