भजन संहिता 52
1 हे वीर, तू बुराई करने पर क्यों घमण्ड करता है?
2 तेरी जीभ केवल दुष्टता गढ़ती है;
3 तू भलाई से बढ़कर बुराई में,
4 हे छली जीभ,
5 निश्चय परमेश्वर तुझे सदा के लिये नाश कर देगा;
6 तब धर्मी लोग इस घटना को देखकर डर जाएँगे,
7 “देखो, यह वही पुरुष है जिसने परमेश्वर को
8 परन्तु मैं तो परमेश्वर के भवन में हरे जैतून के
9 मैं तेरा धन्यवाद सर्वदा करता रहूँगा, क्योंकि
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