भजन संहिता 39
1 मैंने कहा, “मैं अपनी चालचलन में चौकसी करूँगा,
2 मैं मौन धारण कर गूँगा बन गया,
3 मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था।
4 “हे यहोवा, ऐसा कर कि मेरा अन्त
5 देख, तूने मेरी आयु बालिश्त भर की रखी है,
6 सचमुच मनुष्य छाया सा चलता-फिरता है;
7 “अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूँ?
8 मुझे मेरे सब अपराधों के बन्धन से छुड़ा ले।
9 मैं गूँगा बन गया और मुँह न खोला;
10 तूने जो विपत्ति मुझ पर डाली है
11 जब तू मनुष्य को अधर्म के कारण
12 “हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, और मेरी दुहाई पर कान लगा;
13 आह! इससे पहले कि मैं यहाँ से चला जाऊँ
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