भजन संहिता 19
1 आकाश परमेश्वर की महिमा वर्णन करता है;
2 दिन से दिन बातें करता है,
3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा;
4 फिर भी उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूँज गया है,
5 जो दुल्हे के समान अपने कक्ष से निकलता है।
6 वह आकाश की एक छोर से निकलता है,
7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है;
8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं;
9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है;
10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं;
11 उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है;
12 अपनी गलतियों को कौन समझ सकता है?
13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख;
14 हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करनेवाले,
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