भजन संहिता 120

1 संकट के समय मैंने यहोवा को पुकारा,

2 हे यहोवा, झूठ बोलनेवाले मुँह से

3 हे छली जीभ,

4 वीर के नोकीले तीर

5 हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी होकर रहना पड़ा

6 बहुत समय से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है।

7 मैं तो मेल चाहता हूँ;

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मैं अपनी आँखें पर्वतों की ओर उठाऊँगा।

copyright IRV CC BY-SA 4.0
attribution Bridge Connectivity Solutions Pvt. Ltd., 2019 (ब्रिज कनेक्टिविटी सॉल्यूशंस प्रा. लि., 2019)
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