भजन संहिता 112
1 यहोवा की स्तुति करो!
2 उसका वंश पृथ्वी पर पराक्रमी होगा;
3 उसके घर में धन सम्पत्ति रहती है;
4 सीधे लोगों के लिये अंधकार के बीच में ज्योति उदय होती है;
5 जो व्यक्ति अनुग्रह करता और उधार देता है,
6 वह तो सदा तक अटल रहेगा;
7 वह बुरे समाचार से नहीं डरता;
8 उसका हृदय सम्भला हुआ है, इसलिए वह न डरेगा,
9 उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया,
10 दुष्ट इसे देखकर कुढ़ेगा;
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