भजन संहिता 111
1 यहोवा की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में
2 यहोवा के काम बड़े हैं,
3 उसके काम वैभवशाली और ऐश्वर्यमय होते हैं,
4 उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है;
5 उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है;
6 उसने अपनी प्रजा को जाति-जाति का भाग देने के लिये,
7 सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं;
8 वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे,
9 उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है;
10 बुद्धि का मूल यहोवा का भय है;
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